Aparna Sharma

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -28-Jun-2023

दैनिक प्रतियोगिता स्वैच्छिक कविता 


*जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति*

नींद में देखा स्वप्न और 
जागते में देखे गए सपने

कौन सा भ्रम है और 
 कौन हैं अपने ?

सपनों में वो देखा जो 
पाया नहीं और 
जागते में वो चाहा
 जिसको अपनाया नहीं 

सपनों के माया जाल में 
जो फंस गया वो
कभी बाहर आया नहीं 

सपनों की काल्पनिक  दुनिया में, झूठी प्राप्ति है 
जागो और कर्म करो 
यहीं सच्ची तृप्ति है। 

कुछ मिले ना मिले 
खुद को लक्ष्य में झोंक दो 
परमात्मा ही सत्य है 
उसे सब सौंप दो ! 

उसका हाथ पकड़ जो
कर्म से घिरे होंगे 
तभी गौरी तेरे सभी 
सपने पूरे होंगे !!

अपर्णा "गौरी"👁️

*हर हर महादेव* 🔱

   15
4 Comments

Alka jain

30-Jun-2023 07:10 PM

Nice one

Reply

Babita patel

29-Jun-2023 02:30 PM

nice

Reply

Gunjan Kamal

29-Jun-2023 07:17 AM

बहुत खूब

Reply